मोदी के एजेंट बन कर किसानी संघर्ष को तारपीडो करने की ताक में हैं बादल – कुलतार सिंह संधवां

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-अपील पार्टीबाजी से ऊपर उठ कर किसानी संघर्ष के साथ डटे सारा पंजाब

अमृतसर 23 सितम्बर 2020(राजिंदर धानिक) – आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने प्रदेश की सभी राजनैतिक दलों, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं समेत प्रदेश के सभी वर्गों से अपील की है कि वह मोदी सरकार के कृषि विरोधी काले कानूनों के विरुद्ध किसानी संघर्ष का साथ दे और 25 सितम्बर के बंद को कामयाब बनाएं। ‘आप’ ने साथ ही 25 सितम्बर को बादलों की ओर से ‘चक्का जाम’ के ऐलान को किसानी संघर्ष के विरुद्ध साजिश बताया है।
आज यहां प्रैस कान्फ्रेंस को संबोधन करते हुए कुलतार सिंह संधवां ने दोष लगाया है कि ‘नाटक क्विन’ हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे वाले ड्रामे के बावजूद बादल आज भी केंद्र सरकार का हिस्सा हैं और मोदी के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं, इस लिए 25 सितम्बर को किसान जत्थेबंदियों की ओर से दिए गए पंजाब बंद के प्रोगराम को तारपीडो करने के लिए बादलों ने 25 सितम्बर को ही ‘चक्का जाम’ का नाटक ऐलान दिया है। इस मौके पार्टी के सीनियर नेता मनजिन्दर सिंह लालपुरा, अशोक तलवार, रजिन्दर पलाह, जसकरण बन्देशा, सोहन सिंह नागी व अनिल महाजन भी उपस्थित थे
कुलतार सिंह संधवां ने दोष लगाया कि किसानी संघर्ष के बराबर बादलों की ओर से यह नाटक मोदी सरकार के इशारे पर किया जा रहा है, जिससे किसी तरीके भी पंजाब के किसानों और आम लोगों की जागरूक न किया जा सके।
कुलतार सिंह संधवां ने बादल परिवार को पंजाब का गद्दार करार देते सवाल किया कि मोदी की काले कानूनों के लिए इतनी तानाशाही के बावजूद बादलों ने एनडीए की अपेक्षा नाता क्यों नहीं तोड़ा? केंद्र सरकार का खुद हिस्सा होने के बावजूद बादल पंजाब में ‘चक्का जाम’ का नाटक किस के विरुद्ध कर रहे हैं? क्या यह पाखंड 25 सितम्बर को ही जरूरी है और आगे पीछे क्यों नहीं हो सकता?
कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि पंजाब के लोगों ने बादलों की ऐसी दोगली हरकतों के कारण पहले ही इन (बादल परिवार) का चक्का जाम पक्के तौर पर कर रखा है और बादलों और भाजपा की गांवों में ‘नौ एंट्री’ के बोर्ड लगने शुरू हो गए हैं।

आज पंजाब की मंडियों में एमएसपी ऐलान होने के बावजूद मक्का 1870 की जगह 650 से 1000 रुपए और कपास (काट्टन) 5825 रुपए प्रति क्विंटल की जगह 4000 -4500 रुपए बिक रहा है। जबकि एमएसपी रहित बासमती की फसल केवल 1900 रुपए प्रति क्विंटल खरीदी जा रही है, जिस को बाद में यही मध्यस्थ (विचौले) खरीददार 6000 रुपए प्रति क्विंटल तक उपभोक्ताओं को बेचते हैं।
कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि यह अभी ट्रेलर है जब मोदी के यह काले कानून लागू हो गए तो गेहूं और धान का हाल ओर भी बदतर होगा।


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