तीन महीने बाद वतन पहुंचा हरदीप का शव

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डॉ. ओबराय ने पोंछे पीड़ित परिवार के आंसू

अमृतसर, 21 जुलाई (राजिन्द्र धानिक): अपने सुनहरी भविष्य के सपने दिल में सजाकर दुबई गए अमृतसर जिले के गांव चाटीविंड लेल के 30 वर्षीय हरदीप सिंह, जिसकी गत 19 अप्रैल को दुबई में अचानक मौत हो गई थी, का शव सरबत का भला ट्रस्ट चैरिटेबल ट्रस्ट के सरपरस्त और प्रसिद्ध समाज सेवक डा. एस.पी. सिंह ओबराय के अथक प्रयासों से गत रात्रि को दुबई से अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंचा।
इस संबंधी जानकारी सांझी करते हुए सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक डा. एस.पी. सिंह ओबराय ने बताया कि अमृतसर जिले के गांव चाटीविंड लेल का नौजवान हरदीप सिंह पुत्र स्व: लुका सिंह गत 25 अगस्त को कर्ज़ उठा कर अपने परिवार की बेहतरी के लिए दुबई मज़दूरी करने के लिए गया था, परंतु कुछ समय बीमार रहने के बाद बीते 19 अप्रैल को उसकी मौत हो गई थी। जब हरदीप के परिवार को अपने पर टूटे इस कहर का पता लगा तो उन्होंने उनके साथ संपर्क कर अपनी गरीबी और बेबसी का हवाला देते हुए हरदीप की मृतक के वापस भारत ले कर आने कहा था। उन्होंने बताया कि उनकी टीम ने हरदीप का शव भेजने के लिए तुरंत प्रयास शुरू कर दिए थे, परंतु कोरोना महामारी के कारण बंद हुई उड़ानें फिर चालू होने के कारण गत रात्रि नौजवान का शव भारत पहुंचा है। डा. ओबराय ने बताया कि उन्होंने ट्रस्ट की अमृतसर टीम को अप्रैल महीने अंदर ही मृतक के गांव भेज कर उसके परिवार की आर्थिक स्थिति जानने उपरांत पीडित परिवार के सिर पर चढ़ा कर्ज उतारने के अलावा मृतक की पत्नी और उसके बच्चों के पालन पोषण के लिए ट्रस्ट की तरफ से पहले से ही 3 हज़ार प्रति महीना पेंशन दी जा रही है। डा. ओबराय ने यह भी बताया कि सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट अब तक भारतीय दूतावास के सहयोग से 182 बदनसीब लोगों के शव अब तक उनके परिजनों तक पहुंचा चुका है। उन्होंने बताया कि पिछले 10 दिनों में ही ट्रस्ट की तरफ से 5 नौजवानों के शव दुबई से वापस लाए गए हैं, जबकि इस सप्ताह भी ट्रस्ट की तरफ से पंजाब के गुरदासपुर, श्री मुक्तसर साहिब, फरीदकोट, मोगा और श्री फतेहगढ़ साहिबब जिलों से संबंधित 5 और नौजवानों के शव वापस लाए जाएंगे।
इस दौरान मृतक के भाई सर्बजीत सिंह, चाचा जगरूप सिंह और दूसरे पारिवारिक सदस्यों ने हरदीप की मृतक देह लेकर आने के साथ-साथ परिवार का कर्ज़ उतारने और उसकी पत्नी की मासिक पैंशन देने पर डा. एस.पी. सिंह ओबराए का तहेदिल से शुक्राना करते हुए बताया कि मृतक के पिता की पहले ही मौत हो चुकी है और उसकी पत्नी और तीन छोटे -छोटे बच्चे, उसकी बुज़ुर्ग विधवा मां के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने तो हरदीप का मृतक शरीर वापस आने की आस छोड़कर उसका भोग भी डाल दिया था, परंतु ईश्वर के फ़रिश्ते डा. ओबराय के बड़े परोपकार की बदौलत ही वह हरदीप के अंतिम दर्शन कर सके हैं। ज़िक्रयोग्य है कि हरदीप का शव भारत भेजने में डा. ओबराए व निजी सचिव बलदीप सिंह चाहल और भारतीय दूतावास ने भी विशेष भूमिका निभाई है।


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