टेक्नोलॉजी विकास के साथ माता-पिता में बॉर्न परफेक्ट बेबी की बढी लालसा

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बाल रोग सर्जन डॉ. एमपीएस मिगलानी के साथ विशेष बैठक

 

जरा सा भी शक पैदा होने से पहले ही हो रही है हत्या
90% जन्मजात बीमारियां इलाज योग्य होती हैं

अमृतसर, 10 अगस्त (पवित्र जोत) – भारत में लाखों जोड़े निःसंतान हैं। बच्चे पैदा करने के लिए तरह-तरह के इलाज के अलावा धार्मिक स्थलों पर बच्चों के लिए दुआ करते नजर आते हैं। लेकिन कई बुरे विचार वाले जोड़े भी होते हैं जो छोटे-छोटे डॉक्टरों और दाइयों में शामिल हो जाते हैं और सही बच्चे की खातिर भ्रूण का गर्भपात करवा देते हैं और मासूम बच्चे को पैदा होने से पहले ही मार देते हैं। खराब सोच और अच्छी तकनीक भी लाखों बच्चों के लिए अभिशाप बनता जा रहा है। जरूरतमंद परिवारों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकारें विशेष कदम उठाएं। जब देश के युवा स्वस्थ होंगे तभी देश समृद्ध होगा।
जब से तकनीक विकसित हुई है, तब से बच्चे मां के गर्भ में पाए गए हैं। गर्भ में ही उन्हें यह देखना शुरू हो जाता है कि उनके पास किस तरह का बच्चा है, वे किसी बीमारी से पीड़ित हैं या नहीं। कई माता-पिता एक आदर्श बच्चे की इच्छा के कारण गर्भ में ही भ्रूण को मार देते हैं।
इस संबंध में डॉ. एमपीएस मिगलानी, विशेषज्ञ सर्जन, मिगलानी अस्पताल, बटाला रोड, शिवाला रोड के पास, अमृतसर और बाल रोग विशेषज्ञ ने कहा कि परफेक्ट बेबी की लालसा को लेकर गलत काम करवाने जहा भगवान की नजर में गुनाह हैं वहीं कानूनी अपराध भी है। उन्होंने कहा कि लगभग 90 प्रतिशत नवजात शिशुओं का इलाज संभव है। कभी-कभी बच्चे के बड़े होने पर वे बीमारियाँ अपने आप ठीक हो जाती हैं। एक मामूली ऑपरेशन के बाद भी कई बच्चे पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।
डॉ मिगलानी ने कहा कि कई माता-पिता में आदर्श बच्चे की इच्छा अल्ट्रासाउंड से ही शुरू हो जाती है। सही समय, सही सलाह, सही डॉक्टर की नीतियां अपनाकर माता-पिता लाखों बच्चों को नया जीवन दे सकते हैं।
डॉ मिगलानी ने कहा कि अल्ट्रासाउंड के दौरान जिस बच्चे में कोई खराबी हो, उसे वहीं जन्म लेना चाहिए जहां उसका इलाज किया जा सके। इससे मां और बच्चे को उच्च गुणवत्ता वाला इलाज मिलेगा और शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी। डॉ. मिगलानी ने कहा कि बच्चे के जन्म से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह से उचित इलाज शुरू कर देना चाहिए। गर्भावस्था से पहले फोलिक एसिड लेने से वायरल संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। विटामिन ए का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। मोटापा कम करने की कोशिश करें। असाध्य रोगों के निदान के लिए समय-समय पर परामर्श और रक्त परीक्षण का भी उपयोग किया जा सकता है।


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