डा.ओबराय के प्रयासों से जोगराज के मृतक शरीर को भी नसीब हुई वतन की मिट्टी

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ट्रस्ट अब तक 192 बदनसीब लोगों के मृतक शरीर पहुंचा चुका है भारत

हमारे लिए बेटे का मृत शरीर वतन लाना नामुमकिन था : पीड़ित परिवार

अमृतसर 19 अगस्त (राजिंदर धानिक) – अपने परिवारों को आर्थिक मंदहाली में से निकालने के लिए अपने घर और ज़मीनें गिरवी रखकर खाड़ी मुल्कों में मजदूरी करने गए लोगों पर उस समय मुसीबतों का पहाड़ टूटता नजर आ रहा है,जब मुसीबत में फंसे लोगों के लिए रहबर बन सेवा रूपी मदद कर रहे सरबत का भला चैरिटेबल ट्रस्ट के सरपरस्त डा.एस.पी. सिंह ओबराय की कोशिशों के फलस्वरूप खाड़ी देशों में से बदनसीब लोगों के बक्सों में बंद होकर आ रहे मृतक शरीर परिजनों को मिलते है। इसी कड़ी के तहत डा.ओबराय की  बदौलत बीती आधी रात को भी होशियारपुर की दसूहा तहसील के गांव मंड से संबंधित 25 वर्षीय जोगराज नाम के नौजवान की मृत देह दुबई से श्री गुरु रामदास अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अमृतसर पहुंची।
        इस संबंधी जानकारी सांझी करते हुए सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक डा.एस.पी. सिंह ओबराय ने बताया कि जोगराज सिंह 2 वर्ष पहले अपने परिवार के बेहद बुरे आर्थिक हालात को सुधारने की कोशिश में दुबई मज़दूरी करने के लिए गया था कि बदकिस्मती से बीती 21 जुलाई को भेद भरे हालातों में उसकी मौत हो गई थी। उन्होंने बताया कि जब परिवार ने उनसे संपर्क करके इस बाबत बताया तो उन्होंने तुरंत दुबई में सारी कागज़ी कार्यवाई मुकम्मल करवा कर भारतीय दूतावास के सहयोग से जोगराज का मृतक शरीर लाकर बीती रात अमृतसर हवाई अड्डे पर परिवार को सौंप दिया है। इस दौरान वहां ट्रस्ट की अमृतसर इकाई के वित्त सचिव नवजीत सिंह घई और
 हरजिंदर सिंह हेर भी मौजूद थे। डा. ओबराय ने बताया कि वह अब तक 192 बदनसीब लोगों के मृतक शरीर वतन पहुंचा चुके हैं और आने वाले कुछ दिनों में भी मृतक शरीर लाने के लिए कार्यवाई चल रही है।
       एक सवाल का जवाब देते डा. ओबराय ने बताया कि खाड़ी देशों में बड़ी संख्या में हो रही मौतों का मुख्य बड़ा कारण कोरोना महामारी के चलते काम बंद होना है। परेशानी के कारण बहुत से नौजवान यां तो आत्महत्या कर रहे हैं यां छोटी उम्र में ही दिल का दौरा पड़ने कारण उनकी मौत हो रही है।
      इस दौरान मृतक के गांव मंड के
सरपंच बलवीर सिंह के अलावा दूसरे पारिवारिक सदस्यों ने जोगराज की मृतक देह लेकर आने पर डा.एस.पी. सिंह ओबराय का अंतर्मन से आभार व्यक्त करते हुए बताया कि उनके परिवार की आर्थिक हालत बुरी होने के कारण जोगराज का मृतक शरीर वापस लेकर आना उनके बस की ही बात नहीं थी। उन्होंने कहा कि डा.ओबराय की बदौलत ही उनके लाडले बेटे के मृतक शरीर को अपने वतन की मिट्टी नसीब हो सकी है। ज़िक्रयोग्य है कि मृतक देह भारत भेजने में डा. ओबराय के निजी सचिव बलदीप सिंह चाहल और भारतीय दूतावास ने भी विशेष भूमिका निभाई है।
 अड्डे पर जोगराज सिंह का मृतक शरीर परिवार को सौंपने मौके नवजीत सिंह घई और हरजिंदर सिंह हेर।

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