कैप्टन ने अपनी एय्याशियों में पंजाब को रखा गिरवी, साढ़े चार वर्ष अपने महल में की ऐय्याशी: जीवन गुप्ता

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बिजली ना मिलने से पंजाब के उद्योग बंद तथा जनता बिजली कटों से बेहाल, सडकों पर रो रही कैप्टन को : गुप्ता

चंडीगढ़/अमृतसर: 11 जुलाई ( पवित्र जोत), पंजाब में जहाँ बिजली के कटों से जनता परेशान हो कर सड़कों पर कैप्टन सरकार का पिट-सियापा कर रही है वहीँ बिजली ने मिलने से बंद पंजाब के उद्योग व कारोबारी भी पंजाब सरकार को अल्टीमेटम दे कर सड़कों पर उतरने की तैयारी कर चुके हैं। प्रदेश भाजपा महासचिव जीवन गुप्ता ने कहाकि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह अपने साढ़े चार वर्ष के शासनकाल में अपनी अय्याशियों में लिप्त रहे और अपने महल से बाहर नहीं निकले। कैप्टन ने पंजाब को उन्होंने माफिया तथा गैंगस्टरों के रहमो-करम पर छोड़ रखा था। जनता को दी जाने वाली सुविधाओं के फंड इनके चहेते मंत्री ने डकार लिए। जब जनता ने इस संबंध में आवाज़ उठाई तो उन पर अत्याचार शुरू हो गए।
जीवन गुप्ता ने कहाकि कैप्टन ने पिछले वर्ष करीब 550 करोड़ रूपये की बिजली खरीदी और इस वर्ष कैप्टन ने बिजली के लिए 1000 करोड़ रूपये मार्किट से उधार लिए हैं। गुप्ता ने कहा कि भाजपा के शासनकाल में पंजाब में बिजली सरप्लस थी और पंजाब पडोसी राज्यों को बिजली बेचने लगा था, लेकिन जब से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब की सत्ता सम्भाली तब से पंजाब के बेड़ा गर्क होने लगा। कैप्टन ने अपने साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में बिजली ग्रिडों और थर्मल प्लांटों की तरफ ध्यान नहीं दिया। गुप्ता ने कहाकि पंजाब को गर्मी में पांचों थर्मल प्लांटों के अलावा बाकी की बिजली भाखड़ा, रणजीत सागर डैम, जोगिंदर नगर डैम, छोटे नहरी प्रोजेक्ट, सेंट्रल पूल के फिक्स कोटा व सरकारी थर्मल प्लांट से मिलती है। कुल मिलाकर सात हजार मेगावाट डैम व नहरी प्रोजेक्ट से बिजली पंजाब को मिलती है, जबकि बाकी थर्मल प्लांट पैदा करते हैं। पंजाब में इस समय राजपुरा, तलवंडी साबो, गोइंदवाल साहिब, रोपड़ व बठिंडा में थर्मल प्लांट हैं। बठिंडा थर्मल प्लांट तो पहले ही बंद था। हाल ही में अब बाकी चारों भी बंद हो गए हैं। कैप्टन ने बठिंडा का ताप बिजली घर पहले ही बंद करवा कर उसे बेचने के लिए लगा दिया।
जीवन गुप्ता ने कहा कि पंजाब में थर्मल प्लांट बंद होने से बिजली सप्लाई का सारा दारोमदार अब नेशनल ग्रिड पर आ गया है। उधर भाखड़ा डैम (रणजीत सागर डैम) में भी पानी का स्तर करीब 60 फुट नीचे चल रहा है। अगर रणजीत सागर या भाखड़ा डैम में तकनीकी खराबी आई या फिर ट्रांसमिशन लाइन में गड़बड़ी हुई तो पंजाब में ब्लैकआउट के हालात पैदा होना तय है। सामान्य तौर पर बिजली की मांग नौ हजार मेगावाट तक रहती है। गर्मी व धान के सीजन में खपत पांच हजार मेगावाट और बढ़ जाती है। धान के सीजन में बिजली की खपत 14 हजार मेगावाट प्रतिदिन तक पहुंच जाती है। पंजाब की बिजली ट्रांसमिशन की कैपिसिटी 13 हज़ार मेगावाट है, इससे ऊपर का लोड होने पर सारे पंजाब में ब्लैकआउट हो जाएगा।
जीवन गुप्ता ने कहाकि कैप्टन पंजाब की जनता को बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएँ देने में फेल साबित हुए हैं, इसलिए उन्हें सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। कैप्टन को नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।


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