देश का आठवां बजट भी दशाहीन, दिशाहीन और निराशाजनक: प्रो. लाल

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अमृतसर 1 फ़रवरी (राजिंदर धानिक) : पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रो. दरबारी लाल के गृह स्थान ग्रीन एवेन्यू में केंद्र सरकार द्वारा पेश किए बजट पर वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई गई। जिसमें बजट के हर पहलू पर बड़ी गंभीरता से विचार विमर्श किया गया। एकत्रित नेताओं ने बजट के कई पहलूओं पर खुलकर आलोचना की। प्रो. लाल ने बजट पर टिप्पणी करते कहा कि बजट पूरी तरह दिशाहीन, निराशावादी, बेरोजगारी को बढ़ावा देने वाला कई वस्तुओं पर टैक्स लगने से देश की हर चीज महंगी हो जाएगी। जिससे पहले ही मध्यवर्गीय लोग महंगाई की चक्की में बुरी तरह पिस रहे है और गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के लिए नई परेशानियां पैदा होगी। सरकार ने देश में विकास, प्रगति और लोगों के हितों को नजरअंदाज करके हवा-हवाई वायदे किए है। जिससे देश के आम लोगों पर बहुत ही दुष्प्रभाव पड़ेगा।
प्रो. लाल ने कहा कि वर्तमान सरकार का यह आठवां बजट है। इस बजट में भी सरकार पहले की तरह हवा में तीर चलाकर लोगों को गुमराह कर रही है। सरकार ने नए उद्योग स्थापित करने, कोविड-19 के कारण 15 करोड़ लोग जो बेकार हो गए थे उनको पुर्नःरोजगार मुहैया करने का कोई ठोस प्रोजेक्ट देश के सामने नहीं रखा। बल्कि पिछले सरकारों द्वारा बनाए गए पब्लिक सेक्टर यूनिट्स को बेचने का फैसला लिया है। सरकार पहले ही 177 रेलवे रूट कारपोरेट सेक्टर को बेच चुकी है और कई रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट भी बेचे जा चुके है। सरकार खुद जिम्मेदारी लेने की बजाए देश में कारपोरेट सेक्टर को मजबूत कर रही है। ऐसा लगता है कि सरकार कारपोरेट सेक्टर की गुलाम होती जा रही है और देश स्वयं चलाने की बजाए सारी ताकत उनको सौंप रही है। कोरोनाकाल में जब आम भारतीयों के कारोबार का बड़ा नुक्सान हुआ, परंतु कारपोरेट सेक्टर के चंद लोग पांच-छह महीनों में मालामाल हो गए। यह सबसे आश्चर्किंत बात है। 94 लाख लोगों ने आर्थिक तंगी के कारण अपने बैंक खातों से जमा पूंजी ही खत्म कर ली।
प्रो. लाल ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर लगाए गए टैक्स से हरेक क्षेत्र में महंगाई को बढ़ावा देने वाला है। देश की कंपनियां 27 और 28 रूपए के बीच में विदेशों से तेल हासिल करती है और लगातार पिछले 7 वर्षों से डीजल और पेट्रोल की कीमत करीब-करीब 2 गुणा हो गई है। गैस सिलेंडर साढ़े 300 से 800 रूपए का बिक रहा है। दाले, तेल और अन्य खाद्यान पदार्थोंं की कीमतें आसमान को छू रही है। परंतु सरकार लोगों के हित में कदम  उठाने की बजाए तामाशाई बनी हुई है। सरकार अपने आठवें बजट में देश में कोई साकारात्मक, सृजनात्मक और कारआमद सुधार नहीं ला सकी। बल्कि किसानों के लिए नए कानून बनाकर देश के लिए एक नई गंभीर समस्या पैदा कर दी है। किसान यदि कारपोरेट सेक्टर के चंगुल में एक बार फंस गया तो उसके बुरे प्रभाव से जनसाधारण भी बच नहीं सकेगा।

प्रो. लाल ने कहा कि वर्तमान सरकार ने न कोई नीति निर्माता है और न ही प्रसिद्ध अर्थशास्त्री है और न ही जमीन से जुड़े ऐसे नेता है। जो लोगों की वास्तविक समस्या को समझ सके और सरकार में बैठकर उनका समाधान कर सके। सरकार ने पांच वर्षीय योजना बंद कर  दी है और नीति आयोग बना दिया है। रेलवे मंत्रालय खत्म कर दिया है और रेलवे प्राईवेट लोगों के हवाले की जा रही है। देश में यदि वेतन आयोग है, तो किसानों की समस्या के लिए किसान आयोग भी बनना चाहिए। सरकार का यह बजट पूरी तरह दशा और दिशाहीन और निराशाजनक  है। इस अवसर पर राजा बरिंदर दयाल सिंह, पार्षद प्रदीप शर्मा, सुरिंदर केवलानी, दलविंदर सिंह गरचा, भगत प्रहलाद, अविनाश टोपी, प्रेम सेठ अजय कुमार, नवदीप शर्मा, जनकराज श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।


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